Ramlala's picture: See 'Ramlala' seated in the sanctum sanctorum...first picture revealedRamlala's picture
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अयोध्या, 19 जनवरी। Ramlala ki Tasvir : अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। अब देशभर के राम भक्तों को बस उस पल का इंतजार है जब राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी और भगवान राम के दर्शन हो सकेंगे। इससे पहले गुरुवार 18 जनवरी को गर्भगृह में प्रतिमा को स्थापित किया जा चुका है। मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला की पहली तस्वीर सामने आई है।

गर्भगृह से जो रामलला की तस्वीर सामने आई है, उसमें राम मंदिर निर्माण में जुटे कर्मियों को हाथ जोड़कर प्रार्थना करते भी देखा जा सकता है। इस प्रतिमा को कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कृष्णशिला में तैयार किया है। मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों की 5 पीढ़ियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले अरुण योगीराज वर्तमान में देश में सबसे अधिक डिमांड वाले मूर्तिकार हैं। अरुण वह मूर्तिकार हैं, जिनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सराहना कर चुके हैं। अरुण के पिता योगीराज भी एक कुशल मूर्तिकार हैं। उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था। 

प्राण प्रतिष्ठा के बाद होंगे पावन विग्रह के दर्शन प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के पावन विग्रह के दर्शन किए जा सकेंगे। रामलला की मूर्ति को आसन पर स्थापित करने में कुल चार घंटे से ज्यादा का वक्त लगा। मंत्रोच्चार विधि कर और पूजन विधि के साथ भगवान राम के इस विग्रह को आसन पर विराजित किया गया। इस दौरान मूर्तिकार योगीराज और कई संत भी मौजूद थे। अब 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होगी। 

3.4 फीट ऊंचा है रामललाल का आसन

बता दें कि बुधवार रात को क्रेन की मदद से रामलला की मूर्ति को राम मंदिर परिसर के अंदर लाया गया था। इसकी कुछ तस्वीरें भी सामने आई थीं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले उनका आसन भी तैयार किया गया है। रामलला का आसन 3.4 फीट ऊंचा है, जिसे मकराना पत्थर से बनाया गया है।

गौरतलब है कि साल 1949 से श्रद्धालु रामलला की प्रतिमा वाले अस्थायी मंदिर में पूजा-अर्चना करते रहे हैं। नए मंदिर में लगने वाली प्रतिमा पर तीन मूर्तिकार काम कर रहे थे। उन्होंने अलग-अलग पत्थरों पर अलग-अलग काम करके मूर्तियां बनाईं। उनमें से दो के लिए पत्थर कर्नाटक से आए थे। तीसरी मूर्ति राजस्थान से लाई गई चट्टान से बनाई जा रही थी। मूर्तियों की नक्काशी जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे और कर्नाटक के गणेश भट्ट और अरुण योगीराज ने की थी। हालांकि इन तीनों प्रतिमाओं में से अरुण योगीराज द्वारा निर्मित प्रतिमा का चयन राम मंदिर (Ramlala ki Tasvir) के लिए किया गया।