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नई दिल्ली, 08 मई। Political Reshuffle : हरियाणा में मंगलवार को अचानक बड़ा सियासी घटनाक्रम देखने को मिला। यहां बीजेपी से तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया। निर्दलीयों में पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान शामिल हैं। इन विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को अपना समर्थन दे भी दिया। इसके बाद कांग्रेस तुरंत बीजेपी सरकार को अल्पमत में बताने लगी। वहीं बीजेपी कहने लगी चिंता की कोई बात नहीं।

तीनों विधायकों ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और राज्य कांग्रेस प्रमुख उदय भान की मौजूदगी में रोहतक में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में समर्थन वापसी की घोषणा की। इस दौरान निर्दलीय विधायक गोंदर ने कहा, “हम सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं। हम कांग्रेस को अपना समर्थन दे रहे हैं। हमने किसानों से जुड़े मुद्दों सहित विभिन्न मुद्दों पर यह निर्णय लिया है।”

बता दें कि 12 मार्च को ही नायब सिंह सैनी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। वहीं 13 मार्च को भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। अचानक हुए इस सियासी घटनाक्रम पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, “मुझे यह जानकारी मिली है। शायद कांग्रेस कुछ लोगों की इच्छाओं को पूरा करने में लगी हुई है। अब कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से कोई लेना-देना नहीं है।”

भाजपा के पास अब 40 सदस्य: कांग्रेस का दावा

प्रेसवार्ता में बोलते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रमुख उदय भान ने दावा करते हुए कहा, “तीन निर्दलीय विधायकों सोमबीर सांगवान, रणधीर सिंह गोलेन और धर्मपाल गोंदर ने भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि (90 सदस्यीय) हरियाणा विधानसभा की वर्तमान ताकत 88 है, जिसमें से भाजपा के 40 सदस्य हैं। भाजपा सरकार को पहले जेजेपी विधायकों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन जेजेपी ने भी समर्थन वापस ले लिया था और अब निर्दलीय हैं भी अपना समर्थन वापस ले रहे हैं।”

क्या बीजेपी सरकार पर बड़ा संकट आया?

अब सवाल उठता है कि क्या हरियाणा सरकार पर तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी से बड़ा संकट आ गया है या क्या सरकार अल्पमत में आ चुकी है? तो इसका जवाब है नहीं. कारण, अब भी बीजेपी के पास 45 विधायकों का समर्थन है, जिसमें 40 विधायक अपने और पांच निर्दलीय शामिल हैं। दूसरा सवाल है कि क्या तीन निर्दलीयों के समर्थन वापसी से कांग्रेस के पास सरकार बनाने का कोई भी मौका है? इसका भी फिलहाल जवाब है कि नहीं. क्योंकि कांग्रेस के पास तीस विधायक हैं। तीन और जुड़े तो ये संख्या 33 हुई। वहीं जेजेपी के 10 विधायक कांग्रेस के साथ तो फिलहाल जाने वाले नहीं हैं। और जाते भी हैं तो ये संख्या 43 ही होती है।

क्या BJP सरकार को साबित करना होगा बहुमत?

अब तीसरा सवाल ये है कि क्या कांग्रेस अभी बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए सदन में कह सकती है? जवाब है नहीं। क्योंकि 13 मार्च को ही नायब सिंह सैनी की सरकार ने बहुमत साबित किया है। और नियम ये है कि इसके 6 महीने तक कोई विश्वास मत परीक्षण नहीं हो सकता। यानी 13 सितंबर तक विश्वास मत परीक्षण कहीं कोई नहीं ला सकता है। वहीं इसी साल अक्टूबर-नवंबर माह में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में एक सवाल यही बचता है कि आखिर कांग्रेस ने फिर तीन विधायकों का समर्थन लेकर अभी क्यों ताकत दिखानी चाही? तो इसकी वजह है लोकसभा का चुनाव, जहां हरियाणा में 25 मई को मतदान एक साथ सभी सीटों पर होना है।

अब क्या है हरियाणा विधानसभा का नंबरगेम?

हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटे हैं। यहां का जादुई आंकड़ा 46 है। यानी किसी भी दल को सरकार बनाने लिए कम से कम 46 विधायकों की जरूरत है। लेकिन राज्य की दो सीटें खाली हैं। इसके साथ ही कुछ 88 सीटें बचती हैं। दरअसल, करनाल लोकसभा चुनाव लड़ रहे खट्टर ने करनाल से विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। तो हरियाणा के पूर्व मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने भी मार्च में विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। वह रानिया क्षेत्र से एक स्वतंत्र विधायक थे और 24 मार्च को भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। वह हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

ऐसे में जादुई आंकड़ा 45 बचता है। वर्तमान में बीजेपी के पास 40 अपने विधायक हैं। इनके अलावा 2 निर्दलीय और 1 विधायक हरियाणा लोकहित पार्टी (गोपाल कांडा) का समर्थन भी बीजेपी के पास है। वहीं बीजेपी नेताओं ने दावा किया है कि उन्हें पार्टी के 40 विधायकों समेत कुल 47 विधायकों का समर्थन हासिल है। दावा है कि बीजेपी के पास अपने 40 विधायकों के अलावा दो निर्दलीय, एक एचएलपी और चार जेजेपी विधायकों का समर्थन है। इसलिए हरियाणा की बीजेपी सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं है।

अब अन्य दलों की बात करें तो कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं, जबकि 3 निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। इसके अलावा जेजेपी के पास 10 विधायक हैं। हालांकि बीजेपी का दावा है कि इनमें से 4 का समर्थन उनके पास है। वहीं एक विधायक INLD का है। इसके अलावा एक और निर्दलीय विधायक बचता है। सूत्रों की मानें तो वह भी कांग्रेस को समर्थन दे सकता है। उधर, कांग्रेस का दावा है कि फिलहाल बीजेपी सरकार अल्पमत में आ गई है।

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