Sawan ka Mahina: Shiva worship month is starting from tomorrow...these 4 coincidences will be specialSawan ka Mahina
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डेस्क, 3 जुलाई। Sawan ka Mahina : सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करना विशेष फल देने वाला होता है। सावन मास 4 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। इस साल सावन का महीना कई प्रकार से खास होगा। इस बार सावन मास दो महीने का होगा। भक्तों को भगवान शिव की पूजा के लिए आठ सोमवार मिलेंगे। 31 अगस्त तक सावन मास रहेगा।

सावन मास चार जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। इस साल सावन का महीना कई प्रकार से खास होगा। एक तो 19 वर्ष बाद सावन का महीना 30 दिन का ना हो कर 59 दिन का होगा।

दूसरा इस बार सावन मास का प्रारंभ इंद्र योग में हो रहा है। जो भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करने वाला और कार्य सिद्धि करने वाला होगा।

45 दिन बाद होगा रक्षाबंधन

आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि इस साल सावन मास खास होगा। एक सावन मास दो महीने का होगा, दूसरा इसका प्रारंभ इंद्रा योग में होगा और तीसरा इस बार शिवरात्रि और रक्षाबंधन में डेढ़ माह का अंतर हो जाएगा।

सामान्य दिनों में शिवरात्रि से 15 दिन बाद ही पूर्णिमा तिथि यानी रक्षाबंधन पड़ता है, लेकिन इस बार ऐसा दुर्लभ संयोग पड़ रहा है कि 45 दिन बाद रक्षाबंधन होगा। उन्होंने बताया कि चंद्र वर्ष और सौर वर्ष में अंतर होने से मलमास लगता है।

भारतीय ज्योतिष में वर्ष की गणना कई प्रकार से की जाती है। जिसमें सौर वर्ष और चंद्र वर्ष भी आता है। उन्होंने बताया कि इस साल भक्तों को भगवान शिव की पूजा के लिए आठ सोमवार मिलेंगे। यह भी अपने आप में एक अद्भुत संयोग है।

बताया कि भगवान शिव का जलाभिषेक 15 जुलाई को रात्रि लगभग 8:30 बजे से प्रारंभ होगा। क्योंकि त्रयोदशी तिथि लगभग 8:30 बजे समाप्त होगी। उसी समय चतुर्दशी तिथि और भद्रा प्रारंभ हो जाएगी, लेकिन मिथुन राशि के भद्रा नाग लोक में होने से भद्रा जलाभिषेक में बाधक नहीं रहेगी। वहीं 31 अगस्त तक सावन मास रहेगा।

ये चार संयोग होंगे खास

  • सावन मास दो महीने का होगा
  • इसका प्रारंभ इंद्रा योग में होगा
  • शिवरात्रि और रक्षाबंधन में डेढ़ माह का अंतर हो जाएगा
  • भगवान शिव की पूजा के लिए आठ सोमवार मिलेंगे

सावन मास में शिव की पूजा होती है विशेष फलदाई

सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करना विशेष फल देने वाला होता है। क्योंकि इस महीने भगवान शिव गंगा के निकट यानी हरिद्वार तीर्थ में विराजते हैं।

आचार्य राकेश कुमार शुक्ल के अनुसार गंगा के जल तथा कांवड़ के जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है भगवान शिव को जल धारा सर्वाधिक प्रिय है।

जो भी व्यक्ति सावन मास में भगवान शिव का कांवड़ के जल से अभिषेक (Sawan ka Mahina) करता है उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

डिसक्लेमर : इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।