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नई दिल्ली, 19 अप्रैल। Fire in Passenger Boat : कांगो नदी में हुए दर्दनाक नाव हादसे ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। रॉयटर्स न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 148 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि दर्जनों यात्री अब भी लापता हैं। कांगो रिवर अफ्रीका महाद्वीप की दूसरी सबसे लंबी नदी है। यह नदी मध्य अफ्रीका से होकर बहती है और इसका अधिकांश हिस्सा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) में स्थित है।

यह हादसा मंगलवार को उस वक्त हुआ, जब लकड़ी से बनी एक मोटरबोट HB कोंगोलो में अचानक आग लग गई। आग लगने के कुछ ही मिनटों में नाव पलट गई यह नाव मतानकुमु बंदरगाह से रवाना हुई थी और बोलोंबा क्षेत्र की ओर जा रही थी।

खाना बनाते वक्त लगी आग

नदी सुरक्षा विभाग के अधिकारी कॉम्पिटेंट लोयोको के मुताबिक, हादसे की शुरुआत उस वक्त हुई जब एक महिला नाव पर खाना बना रही थी। उसी दौरान चूल्हे से निकली चिंगारी ने आग का रूप ले लिया, जो देखते ही देखते पूरे जहाज में फैल गई।

इस भयावह हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि यात्री नदी में कूदकर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। रॉयटर्स के मुताबिक, नाव में करीब 500 लोग सवार थे। जैसे ही आग फैली, अफरातफरी मच गई और कई लोगों ने जान बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी। दुख की बात ये है कि इनमें से कई को तैरना नहीं आता था, जिसकी वजह से डूबकर दर्जनों की मौत हो गई।

जिंदा बचे लोग झुलसे, नहीं मिली मदद

इक्वेटर प्रांत के सांसद जीन-पॉल बोकेत्सु बोफिली ने बताया कि करीब 150 लोग गंभीर रूप से झुलस चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी तक किसी तरह की मेडिकल या मानवीय सहायता नहीं मिली है।

करीब 100 लोगों को मबांडाका के स्थानीय टाउन हॉल में बनाए गए एक अस्थायी शिविर में रखा गया है। हालांकि, यहां सुविधाएं बेहद सीमित हैं। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, लेकिन वहां भी संसाधनों की भारी कमी बताई जा रही है।

लापरवाही बन रही है जानलेवा

कांगो जैसे देश में, जहां ज़मीन पर ट्रांसपोर्ट की हालत बेहद खराब है, वहां नदी के रास्ते सफर करना ज़्यादा आम है, लेकिन नावों की खराब स्थिति, जरूरत से ज़्यादा भीड़ और सुरक्षा नियमों की अनदेखी अकसर ऐसे हादसों की वजह बनती है।

पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई हादसे सामने आ चुके हैं, जिनमें सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके बावजूद सरकार नाव सुरक्षा से जुड़े कानूनों को सख्ती से लागू करने में नाकाम रही है।