नई दिल्ली, 11 मई। Martyrdom Story of Sindoor : 22 अप्रैल 2025 वह मनहूस तारीख जो ऐशान्या के जीवन में एक ऐसा जख्म दे गई जिसे वक्त भी शायद ही भर पाए। कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले में कानपुर के जवान शुभम द्विवेदी ने देश के लिए प्राणों की आहुति दी। महज दो महीने पहले ही शुभम और ऐशान्या ने सात फेरे लिए थे, और इस छोटी-सी नवविवाहित दुनिया में जिंदगी भर के सपने पले थे।
लेकिन किसे पता था कि ऐशान्या की मांग का सिंदूर, शादी के दो महीने बाद ही आतंक की गोली से मिटा दिया जाएगा — और वह भी उसकी आंखों के सामने।
वीर पत्नियों के आंसुओं का उत्तर
भारत सरकार द्वारा 7 मई को चलाया गया “ऑपरेशन सिंदूर”, सिर्फ एक सैन्य जवाब नहीं, बल्कि उन वीर शहीदों की विधवाओं के टूटे हुए दिलों के लिए एक संदेश था। ऐशान्या ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा- “यह ऑपरेशन सिंदूर हम वीर पत्नियों के आंसुओं का जवाब है। शुभम और मेरी तरह जिन औरतों ने अपने पति खो दिए, उनके लिए यह नाम उम्मीद और न्याय का प्रतीक बन गया है। मेरा सिंदूर छिन गया, लेकिन अब यह शौर्य, प्रतिशोध और राष्ट्रभक्ति का संकल्प बन गया है।”
भावुक होते हुए ऐशान्या ने कहा कि जब उन्होंने ऑपरेशन का नाम सुना ‘सिंदूर तो यह उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे सरकार ने सीधे उनके घावों पर हाथ रखा हो। “शुभम की तस्वीर देख कर अकेले में बहुत रोई, लेकिन आज गर्व है कि सरकार ने जवाब ऐसा दिया है कि अब दुश्मन की औकात नहीं कि हमारे देश के बच्चों को हाथ लगा सके। अब एक और शुभम नहीं जाएगा इस देश से।”
एक राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि
ऑपरेशन सिंदूर कोई सामान्य सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और रणनीतिक जवाब था, उन आंखों के लिए जो आज भी अपने सुहाग के इंतजार में हैं, उन माँ-बाप के लिए जिनका बेटा तिरंगे में लिपटकर लौटा। भारत ने न सिर्फ बदला लिया, बल्कि बता दिया कि इस देश की मांग से सिंदूर छीनने की कोशिश, अब भारी पड़ेगी। शुभम को शत्-शत् नमन। ऐशान्या, तुम्हारी हिम्मत हमारे लिए प्रेरणा है।