रायपुर, 19 अप्रैल। Social Media : साजा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक ईश्वर साहू के नाम से संचालित एक कथित फर्जी फेसबुक पेज से न्यायपालिका के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस पेज पर अदालत को लेकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है, जिससे ना सिर्फ न्यायिक गरिमा को ठेस पहुंची है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी नाराजगी देखने को मिल रही है।
अदालत को लेकर अमर्यादित भाषा
जानकारी के अनुसार, फेसबुक पर “ईश्वर साहू” के नाम से सक्रिय एक अकाउंट से हाल ही में ऐसी पोस्ट की गई, जिसमें अदालत को लेकर अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया गया। यह स्पष्ट नहीं है कि यह पेज वाकई ईश्वर साहू द्वारा संचालित किया जा रहा है या किसी अन्य ने उनके नाम का दुरुपयोग किया है। हालांकि, पोस्ट सामने आने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने नाराजगी जताई है और संबंधित व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
कानूनी जानकारों का कहना है कि यदि यह पेज फर्जी पाया जाता है और उसमें जानबूझकर न्यायपालिका को बदनाम करने की मंशा साबित होती है, तो यह न केवल आईटी एक्ट के तहत अपराध होगा, बल्कि कोर्ट की अवमानना का भी मामला बन सकता है।
इधर, कुछ संगठनों और नागरिकों ने प्रशासन और साइबर सेल से मामले की तत्काल जांच कर दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही यह मांग भी उठ रही है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह की गतिविधियों पर निगरानी और नियंत्रण के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं।
फिलहाल, प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक साइबर सेल मामले की प्रारंभिक जांच में जुट गई है और संबंधित पेज की तकनीकी जानकारी जुटाई जा रही है।
इस कथित फेक पेज से हाल ही में न्यायपालिका के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक भाषा में पोस्ट की गई, जिसके बाद मामला सरकार और जांच एजेंसियों के संज्ञान में आया।
33 हजार फॉलोअर्स
बताया जा रहा है कि यह पेज नया नहीं है, बल्कि काफी लंबे समय से सक्रिय है और इसके करीब 33 हजार फॉलोअर्स हैं। यही नहीं, इस पेज के फ्रेंडलिस्ट में कई प्रमुख और प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं, जिससे इसकी विश्वसनीयता को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रही है।
विशेष बात यह है कि यह पेज सिर्फ चार अन्य पेजों को फॉलो करता है, जिनमें से दो पेज खुद “ईश्वर साहू” के नाम से ही बनाए गए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि ईश्वर साहू नाम से बने अन्य किसी भी पेज को इस कथित पेज जितनी लोकप्रियता नहीं मिली है, जिससे इसके असली या नकली होने पर अब नई बहस शुरू हो गई है।
न्यायपालिका के प्रति नफरत फैलाने वाली भाषा का प्रयोग
मामले ने तूल तब पकड़ा जब परसों आधी रात के ठीक पहले, इस पेज से देश की सर्वोच्च और उच्चतम न्यायिक संस्थाओं ‘सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट’ के खिलाफ अशोभनीय भाषा में कई पोस्ट की गईं। पोस्ट्स में न सिर्फ संस्थाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई, बल्कि न्यायपालिका के प्रति नफरत फैलाने वाली भाषा का प्रयोग भी देखा गया।
राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, साइबर सेल को निर्देश दिया गया है कि इस पेज की सत्यता, संचालनकर्ता की पहचान और पोस्ट की पृष्ठभूमि की गहराई से जांच की जाए।
फिलहाल सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। नागरिक समाज और कानूनविदों ने मांग की है कि न्यायपालिका के सम्मान से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
ईश्वर साहू की प्रतिक्रिया
मामले को लेकर MLA ईश्वर साहू ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया है कि उनका उस पेज से कोई लेना-देना नहीं है और यह पूरी तरह फर्जी पेज है, जिसे उनके नाम का दुरुपयोग कर किसी ने चलाया है। उन्होंने कहा कि, मेरे नाम से चल रहे जिस फेसबुक पेज से अदालत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं, उसका मुझसे कोई संबंध नहीं है। मैंने कभी भी इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया और न ही ऐसा किसी प्लेटफॉर्म पर लिखा है। यह एक सोची-समझी साजिश है, जिससे मेरी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। मैंने खुद इस मामले की शिकायत की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करता हूं।
ईश्वर साहू ने आगे कहा कि वे न्यायपालिका का सम्मान करते हैं और ऐसी किसी भी भाषा या विचारधारा का समर्थन नहीं करते जो संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाए।
राज्य सरकार ने दिए जांच के आदेश
राज्य सरकार ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। साइबर सेल पेज की तकनीकी जानकारी, उसके एडमिन, आई.पी. एड्रेस और कंटेंट के स्रोतों की पड़ताल कर रही है। यदि यह पेज फर्जी साबित होता है, तो संबंधित धाराओं के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जा सकता है।