ECI's strong reply point by point...! Allegations on Maharashtra elections are baseless... Congress' claims rejected with facts... See hereECI
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रायपुर, 22 अप्रैल। ECI : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर हालिया विवादों के बीच भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने सोमवार को एक बिंदुवार और तथ्यों पर आधारित विस्तृत प्रतिक्रिया जारी कर विपक्षी दलों के आरोपों को पूरी तरह से “निराधार और भ्रामक” बताया है।

निर्वाचन आयोग ने साफ कहा है कि मतदाता सूची से लेकर मतदान और स्क्रूटनी तक की पूरी प्रक्रिया कानून, पारदर्शिता और सभी दलों की मौजूदगी में पूरी की गई, ऐसे में किसी भी तरह का गड़बड़ी का दावा तथ्यों से मेल नहीं खाता।

बिंदुवार आयोग की प्रतिक्रिया

1. वोटिंग पैटर्न पर तथ्य

महाराष्ट्र चुनाव के दिन 6.40 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने सुबह 7 से शाम 6 बजे तक मतदान किया। आयोग ने स्पष्ट किया कि औसतन प्रति घंटे 58 लाख वोट पड़े और अंतिम दो घंटे में 65 लाख मत डालना पूरी तरह से संभाव्य आंकड़ा है, इसमें कोई असामान्यता नहीं है।

2. अभिकर्ताओं की मौजूदगी

हर मतदान केंद्र पर राजनीतिक दलों के नियुक्त अभिकर्ता मौजूद थे। कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधियों ने मतदान प्रक्रिया के अगले दिन कोई ठोस आपत्ति नहीं दर्ज कराई, जिससे स्पष्ट है कि उस वक्त तक उन्हें किसी अनियमितता का संदेह नहीं था।

3. वैध मतदाता सूची की प्रक्रिया

भारत में निर्वाचक नामावलियाँ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 के तहत तैयार की जाती हैं। अंतिम सूची की प्रतियां सभी मान्यता प्राप्त दलों को पहले ही भेजी जाती हैं।

4. शिकायतों की संख्या नगण्य

9.77 करोड़ मतदाताओं में से सिर्फ 89 अपीलें जिला स्तर पर और 1 अपील राज्य स्तर पर हुई – जो दर्शाता है कि चुनाव पूर्व शिकायतों की संख्या नगण्य थी।

5. पार्टी अभिकर्ताओं की मौजूदगी

1 लाख से ज्यादा बूथ पर 97,000 से अधिक सरकारी कर्मचारी और 1.03 लाख से ज्यादा पार्टी अभिकर्ता मौजूद थे, जिनमें कांग्रेस के 27,099 प्रतिनिधि शामिल थे। ऐसे में सूची गड़बड़ी का आरोप तर्कहीन है।

6. आयोग का पहले ही स्पष्टिकरण:

24 दिसंबर 2024 को ही आयोग ने कांग्रेस को लिखित उत्तर में सभी तथ्यों के साथ जवाब दे दिया था, जो सार्वजनिक रूप से आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की यह प्रतिक्रिया न केवल सत्ता के प्रति जवाबदेही और निष्पक्षता को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि राजनीतिक आरोपों से इतर, सच्चाई तथ्यों में निहित होती है। विपक्ष को अब तथ्यों का सामना करना चाहिए, न कि कल्पनाओं का सहारा लेना चाहिए।