जयपुर, 25 नवंबर। Rajasthan Chunav : राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर सुबह 7 बजे से ही वोटिंग का दौर जारी है। अपने वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल करने को लेकर बड़ी संख्या में वोटर पोलिंग बूथ पर पहुंच रहे हैं। सूबे में मुख्य मुकाबला सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी पार्टी बीजेपी के बीच है। राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, लेकिन आज 199 सीटों पर ही मतदान हो रहा। ऐसे में कई लोग हैं जिनके मन में ये सवाल उठ रहा कि आखिर 199 असेंबली सीट पर ही वोटिंग क्यों हो रही। ऐसा क्या हुआ कि 200 विधानसभा वाले राज्य में एक सीट पर मतदान नहीं कराया जा रहा। जानिए पूरा मामला।
एक सीट पर टला मतदान
राजस्थान की 200 में से जिस एक सीट पर आज वोटिंग नहीं हो हो रही वो श्रीकरणपुर निर्वाचन क्षेत्र है। यहां कांग्रेस कैंडिडेट के निधन की वजह से चुनाव स्थगित कर दिया गया है। ये सीट श्रीगंगानगर जिले में आती है। इस सीट पर कांग्रेस की ओर से गुरगुमीत सिंह कुन्नर चुनाव मैदान में थे। जिनका 15 नवंबर को अचानक निधन हो गया था। 75 साल के कुन्नर इस सीट से विधायक भी थे। कांग्रेस ने उन्हें फिर चुनाव मैदान में उतारा था। हालांकि, खराब सेहत की वजह से उन्हें दिल्ली एम्स में 12 नवंबर को एडमिट कराया गया था। इलाज के दौरान ही 15 नवंबर को उनका निधन हो गया।
कांग्रेस कैंडिडेट का हुआ था निधन
कांग्रेस विधायक और श्रीकरणपुर विधानसभा सीट से पार्टी उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन की वजह से इलेक्शन कमिशन ने इस सीट का चुनाव स्थगित कर दिया। अब इस सीट पर इलेक्शन के बाद उप-चुनाव कराया जाएगा, इसके लिए आधिकारिक घोषणा बाद में चुनाव आयोग की ओर से किया जाएगा। ये पहली बार नहीं है जब राजस्थान में 200 की जगह 199 सीटों पर वोटिंग कराई जा रही है। इससे पहले 2018 और 2013 में भी एक सीट पर चुनाव नहीं कराए गए थे। उस समय भी 199 सीटों पर ही मतदान हुए थे।
क्या है वो नियम जिसके चलते टला चुनाव
राजस्थान की कुल 200 में से एक सीट पर 25 नवंबर यानी आज वोटिंग नहीं हो रही। ऐसा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 52 के तहत किए गए प्रावधानों के चलते किया गया है। इसके मुताबिक, अगर किसी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी की ओर से चुनाव मैदान में उतारे गए उम्मीदवार की नामांकन के बाद या वोटिंग से पहले मौत होती है, तो उस सीट पर मतदान स्थगित कर दिया जाता है। कुछ दिन बाद वोटिंग के लिए नई तारीख घोषित की जाती है। पहले ये नियम निर्दलीय कैंडिडेट्स की मौत होने पर भी लागू था। हालांकि, बाद में इसे बदल दिया गया और यह नियम सिर्फ मान्यता प्राप्त दल (Rajasthan Chunav) के उम्मीदवारों के निधन पर ही लागू होता है।