रायपुर, 05 जनवरी। Sai Cabine News : विष्णुदेव साय कैबिनेट के विस्तार की अटकलें हैं। खरमास यानि 14 जनवरी के बाद कभी भी कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। कैबिनेट के लिए कई नामों की चर्चा है। इस बीच केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू का एक बड़ा बयान आया है। मंत्री तोखन साहू ने संकेत दिया है कि बिलासपुर संभाग से अमर अग्रवाल को मंत्री बनाया जायेगा।
छत्तीसगढ़ में कल कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। दो विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव अपने पद से इस्तीफा देंगे और मंत्री पद की शपथ लेंगे। मंत्रिमंडल में शामिल होने की रेस में पूर्व कैबिनेट मंत्री गजेंद्र यादव, अमर अग्रवाल और अजय चंद्राकर का नाम भी शामिल है। इनके अलावा कुछ मंत्रियों के पोर्टफोलियो बदलने की भी चर्चा है।
बीते दिनों मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्यपाल रामेन डेका से मुलाकात भी की थी। माना जा रहा है कि यह मुलाकात उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार के संबंध में की थी। चर्चा ये भी है कि सरकार के एक साल पूरा होने पर अलग-अलग विभागों के मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड चेक किया जा रहा है, जिसके आधार पर मंत्रियों की जिम्मेदारी में फेरबदल किए जाने की संभावना है।
गौरतलब है कि, दिसंबर महीने में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु साय, राज्य बीजेपी अध्यक्ष किरण सिंहदेव और पार्टी के अन्य बड़े नेता दिल्ली आए थे, और पार्टी के सीनियर लीडरशिप से मुलाकात की थी। इसमें नेशनल जॉइंट सेक्रेटरी शिव प्रकाश, क्षेत्रीय संगठन सेक्रेटरी अजय जामवाल, राज्य के इन-चार्ज नितिन नबीन, उप मुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा भी शामिल थे, जहां राज्य में होने वाले शहरी निकाय और पंचायत चुनाव समेत कैबिनेट विस्तार के संबंध में चर्चा की गई थी।
छत्तीसगढ़ में मंत्रियों की संख्या 13 हो सकती है
छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार में प्रमुख मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता बृजमोहन अग्रवाल ने जून में लोकसभा में निर्वाचित होने के बाद राज्य विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद विष्णु साय के कैबिनेट में सीएम के अलावा 10 मंत्री रह गए थे। यहां राज्य कैबिनेट में 13 मंत्री बनाने की परंपरा है।
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को मजबूत करने की कोशिश
मंत्रिमंडल विस्तार बीजेपी की क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को मजबूत करने और जमीनी स्तर पर समर्थन जुटाने के लिए एक रणनीति के रूप में देखा जा सकता है। प्रमुख विभागों के खाली होने और शहरी निकाय चुनावों के करीब होने की वजह से, प्रभावशाली नेताओं को शामिल करने से बीजेपी को आगामी चुनावी लड़ाई में बढ़त मिल सकती है।