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नई दिल्ली, 25 फरवरी। CAG Report Exposure : शराब घोटाले में दिल्ली को हजारों करोड़ रुपए की चपत लगी। ये चपत कई अलग-अलग छूट और नियमों के उल्लंघन के कारण लगी है। इस घोटाले को लेकर आज कई बड़े खुलासे CAG की रिपोर्ट में हुए हैं।

दरअसल, आज दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शराब घोटाले पर CAG की रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में बताया गया कि आखिर कैसे नई शराब नीति के दिल्ली को 2002 करोड़ की चपत लगाई गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि गलत फैसलों की वजह से सरकार के राजस्व को भारी नुकसान हुआ।

ऐसे हुआ नुकसान

गैर-अनुरूप क्षेत्र में शराब की दुकानें न खोलने से ₹941.53 करोड़ का घाटा हुआ।

छोड़े गए लाइसेंस को री-टेंडर न करने से ₹890 करोड़ का नुकसान हुआ।

COVID-19 के नाम पर लाइसेंस फी छूट देने से ₹144 करोड़ का नुकसान हुआ।

सिक्योरिटी डिपोजिट सही से कलेक्ट न करने के कारण ₹27 करोड़ का नुकसान हुआ।

नियम 35 (दिल्ली आबकारी नीति, 2010) को सही से लागू नहीं किया गया।

जिन लोगों की रुचि मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल में थी, उन्हें होलसेल लाइसेंस दे दिए गए।

इससे पूरी लिकर सप्लाई चेन में एक तरह के ही लोगों का फायदा हुआ।

होलसेलर के मार्जिन को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया।

सरकार ने कहा कि क्वालिटी चेक के लिए वेयरहाउस में लैब्स बनाई जाएंगी, लेकिन कोई लैब नहीं बनी।

इससे होलसेलर्स का प्रोफिट बढ़ा और सरकार को रेवेन्यू में नुकसान हुआ।

स्क्रीनिंग नहीं की गई, अपफ्रंट कॉस्ट इग्नोर की गई।

लिकर जोन चलाने के लिए ₹100 करोड़ की जरूरत थी, लेकिन सरकार ने कोई फाइनेंशियल चेक नहीं किया।

कई बिड लगाने वालों की पिछले 3 साल की इनकम बहुत कम या जीरो थी।

इससे प्रॉक्सी ऑनरशिप और पॉलिटिकल फेवरिज्म की संभावना बढ़ गई।

AAP सरकार ने अपनी ही एक्सपर्ट कमेटी की सलाह को इग्नोर किया और पॉलिसी में मनमाने बदलाव किए।

पहले एक व्यक्ति को सिर्फ 2 दुकानें रखने की अनुमति थी, लेकिन नई पॉलिसी में बढ़ाकर 54 कर दी गई।

पहले सरकार की 377 दुकानें थीं, लेकिन नई पॉलिसी में 849 लिक वेंडर्स बना दिए गए, जिनमें से सिर्फ 22 प्राइवेट प्लेयर्स को लाइसेंस मिले।

इससे मोनोपोली और कैटेगराइजेशन को बढ़ावा मिला।

मैन्यूफैक्चरिंग करने वाले को सिर्फ एक होलसे के साथ टाइ-अप करने की बाध्यता थी।

367 रजिस्टर IMFL ब्रांड में से सिर्फ 25 ब्रांड ने कुल शराब बिक्री का 70% हिस्सा कवर किया।

सिर्फ तीन होलसेलर्स (Indospirit, Mahadev Liquors, और Brindco) ने 71% सप्लाई कंट्रोल कर ली।

इससे शराब की कीमत मैनिपुलेट की गई और ग्राहक के पास कम विकल्प बचे।