नई दिल्ली, 11 अक्टूबर। Changed Election Date : भारत निर्वाचन आयोग ने राजस्थान में होने वाले चुनाव की तारीख़ बदल दी है। राजस्थान में पहले 23 नवम्बर को मतदान का ऐलान किया गया था, जिसे अब 25 नवम्बर कर दिया गया है। वहीं, 3 दिसम्बर को नतीजे आएंगे।
दरसअल, राजस्थान में एक ही चरण में मतदान तय किया गया था। इसको लेकर विभिन्न राजनीतिक दल, सामाजिक संस्था सहित अन्य संगठनों ने चुनाव की तारीख को आगे बढ़ाने की बात रखी थी। राजस्थान में 23 नवम्बर को बड़े पैमाने पर शादियां है, जिसे देखते हुए इन संगठनों ने तारीख बढ़ाने की मांग की थी। चुनाव आयोग ने लोगों की बातों को सुनकर इस मामले में बढ़ा फैसला लिया और मतदान तारीख को आगे बढ़ा दिया है।
30 अक्तूबर को अधिसूचना जारी होगी। छह नवंबर तक नामांकन किया जायेगा। नामांकन पत्रों की जांच सात नवंबर को होगी। नौ नवंबर नाम वापसी की आखिरी तारीख है। 25 नवंबर को मतदान होगा।
चुनाव आयोग ने कहा कि 23 नवंबर को राज्य में बड़े पैमाने पर शादी के आयोजन हैं। इसके अलावा सामाजिक कार्यक्रम भी हैं। इसे देखते हुए कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने मतदान का तारीख बदलने की अपील की थी। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने वोटिंग की डेट को बदलने का फैसला लिया है। बता दें कि 23 नवंबर को देवोत्थान एकादशी है, जिसे देवउठनी भी कहा जाता है। इस दिन शादी करना अच्छा माना जाता है और लोग बिना किसी मुहूर्त को देखे ही शादी करते हैं।
इस बार राजस्थान में देवोत्थान एकादशी के मौके पर 50 हजार से अधिक शादियों का अनुमान है। यही वजह है कि मतदान की तारीख ही बदलने की मांग हो रही थी। भाजपा से पाली के सांसद पीपी चौधरी ने भी चुनाव आयोग को लेटर लिखकर चुनाव की तारीख बदलने की मांग की थी। देव उठनी एकादशी और शादियों का हवाला देकर उन्होंने भी 23 से दो दिन पहले या बाद में मतदान की मांग की थी। अब चुनाव आयोग ने उठ रही इस मांग को मानते हुए शेड्यूल में बदलाव कर दिया है। हालांकि नतीजे की तारीख वही रहेगी और 3 दिसंबर को ही वोटों की गिनती होगी।
क्या है नया शेड्यूल
गैजेट नोटिफिकेशन- 30 अक्टूबर
नामांकन की अंतिम तारीख- 6 नवंबर
स्क्रूटनी की तारीख- 7 नवंबर
नामांकन वापस लेने की सीमा- 9 नवंबर
मतदान की तारीख- 25 नवंबर
मतगणना की तारीख- 3 दिसंबर
23 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु चार माह की लंबी निद्रा से जागते हैं। इसलिए इस एकादशी को देवोत्थान या देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। देवउठनी ग्यारस और ड्योठान के नाम से जाना जाता है। देवउठनी ग्यारस के साथ ही बड़े पैमाने पर विवाह जैसे शुभ कार्यों और मुहुर्तों की शुरुआत हो जाती है। बड़े पैमाने पर शादियां (Changed Election Date) भी होती है।