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नई दिल्ली, 07 जून। Dalbadlu Leader : लोकसभा चुनाव 2024 में इस बार दलबदलू नेताओं का जलवा खूब देखने को मिला। लेकिन वोटर्स ने इन नेताओं को सिरे से नकार दिया है। नेता चाहे किसी भी पार्टी का रहा हो और किसी भी पार्टी में गया हो, लेकिन आखिरी ओवर में अपनी टीम का साथ छोड़ने वाले नेताओं को जनता ने पांच साल के लिए सियासी पवेलियन का रास्ता दिखा दिया है। चुनाव से ठीक पहले दूसरी पार्टियों से बीजेपी में शामिल हुए 25 नेताओं में से 20 को जनता ने हार का मजा चखाया है। बीजेपी ही नहीं बल्कि लगभग सारे दलों के दलबदलुओं का जनता ने यही हाल किया है। चुनावी मैच के आखिरी ओवर में कांग्रेस पहुंचे नेताओं को भी जनता ने दरकिनार कर दिया है।

ये है हारे हुए नेताओं की फेहरिस्त

आम आदमी पार्टी से दल बदलकर बीजेपी के खेमे में आए सुशील कुमार रिंकू पंजाब की जालंधर सीट से चुनाव हार गए।

इसी तरह कांग्रेस का दामन छोड़ हरियाणा की सिरसा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अशोक तंवर को जनता ने नकार दिया।

हरियाणा की ही हिसार सीट पर कांग्रेस छोड़ बीजेपी की ओर से लड़ने वाले रणजीत सिंह चौटाला को जनता ने हरा दिया।

राजस्थान के बांसवाड़ा में कांग्रेस से बीजेपी में आए महेंद्रजीत सिंह मालवीय चुनाव हार गए।

पंजाब की लुधियाना सीट पर कांग्रेस छोड़ बीजेपी से लड़ने वाले रवनीत सिंह बिट्टू से वोटर्स ने मुंह मोड़ लिया।

तृणमूल छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले तापस रॉय को पश्चिम बंगाल की कोलकाता उत्तर सीट पर हार का सामना करना पड़ा।

वहीं, असम के नगांव में वोटर्स ने कांग्रेस से बीजेपी में आए सुरेश बोरा को हार का रास्ता दिखा दिया।

केरल की कन्नूर सीट पर कांग्रेस से बीजेपी में आए सी रघुनाथ चुनाव हार गए।

कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आईं परनीत कौर को पंजाब की पटियाला सीट से हार का मुंह देखना पड़ा।

इसी तरह बीआरएस से आए बीबी पाटिल को बीजेपी वालों ने चाहे अपना लिया हो लेकिन तेलंगाना की जहीराबाद सीट पर वोटर्स ने उन्हें स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया।

इसी तरह बीआरएस को ही छोड़ बीजेपी पहुंचे भारत प्रसाद पोथुगंती तेलंगाना के नागरकुरनूल से हार गए।

वहीं, तेलंगाना की महबूबाबाद सीट पर बीआरएस से बीजेपी आए ए सीताराम नाईक का साथ वोटर्स ने नहीं दिया।

जबकि तेलंगाना में नलगोंडा से चुनाव लड़ने वाले पुराने बीआरएस नेता साईदी रेड्डी बीजेपी के नए चोले में वोटर्स को रास नहीं आए।

इसी तरह तेलंगाना के वारंगल में बीआरएस छोड़ बीजेपी की नाव में सवार हुए अरूरी रमेश का खेवैया बनने से वोटर्स ने इनकार कर दिया।

वहीं, राजस्थान के नागौर में कांग्रेस छोड़ बीजेपी से लड़ीं ज्योति मिर्धा चुनावी रण में हार गईं।

यूपी के अंबेडकरनगर में बीएसपी छोड़ बीजेपी की गाड़ी में सावर होने वाले रितेश पांडे को जनता ने विजय रथ में सवार होने से रोक दिया।

बंगाल की बैरकुपर सीट पर टीएमसी से मुंह मोड़ बीजेपी से नाता जोड़ने वाले अर्जुन सिंह को वोटर्स ने सिरे से नकार दिया।

वहीं, झारखंड के सिंहभूम में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुईं गीता कोड़ा को हार का सामना करना पड़ा।

झारखंड की ही दुमाक सीट पर जेएमएम को छोड़ बीजेपी के टिकट से चुनाव में उतरीं सीता सोरेन को भी मात मिली।

इसी तरह कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले किरण कुमार रेड्डी को आंध्र प्रदेश के राजमपेट में जनता ने ना बोल दिया।

बीएसपी छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले दानिश अली को यूपी के अमरोहा में हार मिली है।

कुछ यही हाल राजस्थान के कोटा में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए प्रह्लाद गुंजल का भी हुआ है।

इसी तरह बिहार की मुज्जफरपुर सीट पर वोटर्स ने पार्टी बदलने वाले अजय निषाद पर भरोसा जताने से इनकार कर दिया।

वहीं,तेलंगाना की चेवल्ला सीट पर बीआरएस छोड़ कांग्रेस में आए जी रंजीत रेड्डी को हार का सामना करना पड़ा है।

तेलंगाना की ही सिकंदराबाद सीट पर बीआरएस से कांग्रेस पहुंचने वाले दानम नागेंद्र भी विक्ट्री रेस की फिनिशिंग लाइन तक नहीं पहुंच पाए।

वहीं, तेलंगाना के मल्काजगिरि में सुनीता महेंद्र रेड्डी को बीआरएस छोड़ कांग्रेस में जाने का हर्जाना हार के रूप में चुकाना पड़ा है।

जबकि जेडीयू छोड़ आरजेडी का दामन थामने वालीं बीमा भारती पूर्णिया से हार गई हैं।

इसी तरह जेडीयू से ही आरजेडी में आए अभय कुशवाहा भी औरंगाबाद में अपनी सीट बचा नहीं पाए हैं।