नई दिल्ली, 10 मार्च। Lok Sabha Elections : लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफ़ा दे दिया। उनके इस्तीफे से हलचल मच गई है। चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय पिछले महीने ही रिटायर हो गए। दूसरे चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अचानक इस्तीफ़ा दे दिया। अरुण गोयल का कार्यकाल 2027 तक था। अब भारतीय निर्वाचन आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार अकेले ही बचे हैं। कांग्रेस ने इस इस्तीफे पर सवाल उठाये हैं। कांग्रेस ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम को लेकर स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए कि आखिर अचानक ऐसा क्यों हुआ।
इलेक्शन कमिश्नर के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयुक्त पद से अरुण गोयल का इस्तीफा तीन सवाल खड़े करता है।
ये है तीन सवाल
1. क्या उन्होंने वास्तव में मुख्य चुनाव आयुक्त या मोदी सरकार के साथ मतभेदों पर इस्तीफा दिया. जो सभी कथित स्वतंत्र संस्थानों के लिए सबसे आगे रहकर काम करती है?
2. क्या उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा दिया?
3. क्या उन्होंने कुछ दिन पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह भाजपा के टिकट पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था?
हर दिन लोकतांत्रिक संस्थानों को झटका
जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयोग ने 8 महीने से वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के मुद्दे पर देश की राजनीतिक पार्टियों से मिलने से इनकार कर दिया है, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग हेरफेर (EVM) को रोकने के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के भारत में प्रत्येक बीतता दिन लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थानों पर एक अतिरिक्त झटका दे रहा है।
खड़गे ने किया केंद्र सरकार पर हमला
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर एक पोस्ट में कहा कि चुनाव आयोग या चुनाव चूक? भारत में अब केवल एक चुनाव आयुक्त हैं, जबकि कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनावों की घोषणा होनी है। उन्होंने कहा कि अगर स्वतंत्र संस्थानों का ”व्यवस्थित विनाश” नहीं रोका गया तो तानाशाही द्वारा लोकतंत्र पर कब्जा कर लिया जाएगा।