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कोयंबटूर, 14 मई। Pollachi Gang Rape : तमिलनाडु के बहुचर्चित पोल्लाची यौन उत्पीड़न मामले में कोयंबटूर की विशेष महिला अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 9 दोषियों को मरते दम तक उम्रकैद की सजा सुनाई है। छह साल लंबे मुकदमे के बाद न्यायाधीश आर. नंदिनी देवी ने यह सख्त फैसला सुनाया। अदालत ने साथ ही 8 पीड़ित महिलाओं को कुल 85 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है।

दोषियों को मिली सजा

सभी 9 दोषियों की उम्र 30 से 39 वर्ष के बीच है और उन्हें सलेम सेंट्रल जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया था। अदालत ने इन सभी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376डी (गैंगरेप) और 376(2)(एन) (बार-बार बलात्कार) के तहत दोषी पाया। इनमें थिरुनावुक्कारासु को सबसे अधिक 5 उम्रकैद की सजा दी गई है।

दोषियों को मिली सजा

  • सबरीराजन: 4 उम्रकैद
  • थिरुनावुक्कारासु: 5 उम्रकैद
  • सतीश: 3 उम्रकैद
  • वसंतकुमार: 2 उम्रकैद
  • मणिवन्नन: 5 उम्रकैद
  • बाइक बाबू: 1 उम्रकैद
  • हारोनिमस पॉल: 3 उम्रकैद
  • अरुलानंथम: 1 उम्रकैद
  • अरुण कुमार: 1 उम्रकैद

सभी दोषियों पर कुल 1.50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

ऐसे हुआ खुलासा

यह मामला फरवरी 2019 में सामने आया, जब 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसके परिचित युवक उसे घुमाने के बहाने कार में ले गए और गैंगरेप किया। आरोपियों ने इस कुकृत्य का वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल करना शुरू किया। इस खुलासे के बाद पुलिस जांच में सामने आया कि यह एक सुनियोजित गैंग था जो सोशल मीडिया पर लड़कियों को फंसाकर उनका यौन शोषण करता था।

100 से अधिक लड़कियां बनीं शिकार

जांच में सामने आया कि यह कोई एक मामला नहीं था। इस गैंग ने करीब 100 से ज्यादा लड़कियों को अपने जाल में फंसाया था। आरोपियों ने वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया और पैसे या बार-बार यौन शोषण करते रहे। पीड़ितों में अधिकतर स्कूल और कॉलेज की छात्राएं थीं, जो सामाजिक भय के कारण सामने नहीं आ पाईं।

सीबीआई ने की जांच

शुरुआत में जांच स्थानीय पुलिस और फिर सीआईडी को सौंपी गई। बाद में जनआक्रोश को देखते हुए राज्य सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने गहन जांच के बाद 9 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि दोषियों को सजा मिलने से न्याय हुआ है। उन्होंने अन्नाद्रमुक पर दोषियों को बचाने का आरोप लगाया। वहीं विपक्ष के नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने भी फैसले का स्वागत किया और कहा कि तत्कालीन सरकार की तत्परता के कारण पीड़ितों को न्याय मिल सका।

यह फैसला ना केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि समाज के लिए एक सख्त संदेश भी है कि महिलाओं के साथ अपराध करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।