राजस्थान, 01 दिसंबर। Rajasthan Exit Polls : पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल आ चुके हैं। इंडिया टुडे एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक मध्य प्रदेश में एकतरफा बीजेपी की जीत हो सकती है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस आगे है, लेकिन राजस्थान वो राज्य है, जहां पर नतीजों में भले कांग्रेस आगे खड़ी है, लेकिन टक्कर बीजेपी से कम नहीं, बल्कि काफी कड़ी है। इसीलिए एग्जिट पोल के बाद राजस्थान में जोड़-तोड़ की सियासी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है।
बताया जा रहा है कि एग्जिट पोल में कांटे की टक्कर दिखने के बाद जिताने की ताकत रखने वाले निर्दलीय बागी उम्मीदवारों से सूबे की दोनों बड़ी पार्टियां यानी बीजेपी और कांग्रेस संपर्क करने लगी है। दरअसल, राजस्थान में दावा है कि बीजेपी से बगावत करके 32 और कांग्रेस से बगावत करके 22 उम्मीदवार उतरे। इन्हीं बागियों से संपर्क में दोनों दलों के बड़े नेता जुटे हैं।
क्या कहते हैं राजस्थान में एग्जिट पोल
राजस्थान में एग्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस 86 से 106 सीट तक जा सकती है तो बीजेपी 80 से 100 सीट तक जा सकती है।यानी भले कांग्रेस आगे दिख रही है, लेकिन बीजेपी भी इससे बहुत पीछे नहीं है।
राजस्थान में बहुमत 100 सीटों पर अभी माना जाएगा, क्योंकि 200 में से 199 सीट पर ही चुनाव हुआ है। एक सीट पर उम्मीदवार के चुनाव से पहले ही मृत्यु के कारण मतदान नहीं हो पाया है।
100 सीट के बहुमत में एग्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस बहुमत से बहुत ज्यादा सीटें हासिल करती नहीं दिख रही है। वहीं बीजेपी का आंकड़ा भी बहुमत के करीब पहुंच सकता है। ऐसी परिस्थिति में बागी, निर्दलीय और छोटे दल के विधायक सरकार को मजबूत करने में काम आ सकते हैं।
एग्जिट पोल कहता है कि बीएसपी राजस्थान में एक से दो सीट और निर्दलीय समेत बाकी छोटे-छोटे दल 8 से 16 सीट तक जीत सकते हैं।
राजस्थान का एग्जिट पोल कहता है कि राजस्थान में निर्दलीय ही 7 सीट जीत सकते हैं।
अगर राजस्थान में नतीजे एकदम कांटे की टक्कर वाले आए तो बीजेपी और कांग्रेस के सामने सरकार बनाने के लिए निर्दलीय और जीते हुए बागियों की जरूरत होगी।
2018 में निर्दलीय और बागियों ने पटल दी थी बाजी
गौरतलब है कि राजस्थान में 2018 के चुनाव में भी इन्हीं निर्दलीय और बागी विधायकों ने बाजी पलट दी थी। कारण, तब के चुनाव में कांग्रेस को कुल 100 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी 73 सीट पर सिमट गई थी। इसके बाद सचिन पायल और अशोक गहलोत ने एक साथ 12 बागी और निर्दलीय विधायकों को अपने साथ मिलाकर सरकार बना ली थी।
वसुंधरा राजे और गहलोत बागियों को साधने में जुटे?
अब बताया जा रहा है कि वसुंधरा राजे बीजेपी से जुड़े सभी बागियों से बात कर चुकी हैं। वहीं बीजेपी की तरफ से गजेंद्र सिंह शेखावत बागी उम्मीदवारों से संपर्क में हैं। वहीं कांग्रेस की तरफ से प्रताप सिंह खाचरियावास ने आजतक से दावा करते हुए कहा कि सबसे बड़े खिलाड़ी अशोक गहलोत हैं। वे 24 घंटे की राजनीति करते हैं। सभी लोगों को हमने इकट्ठा कर लिया है, जब तक बीजेपी वाले जगेंगे, थोड़ी बहुत जरूरत पड़ी तो हम खेल कर सकते हैं।
‘जनता जहां बोलेगी, उस पार्टी के साथ जाएंगे’
उधर, बागी नेता कह रहे हैं कि किसी भी पार्टी के साथ जाने का फैसला वह जनता से पूछकर करेंगे। उदयपुर जिले की वल्लभनगर सीट से जनता सेना की प्रत्याशी दीपेंद्र कुमार भिंडर का कहना है कि यदि वे जीतीं तो कार्यकर्ता जिसके लिए कहेंगे, उस पार्टी को समर्थन दिया जाएगा। दीपेंद्र कुंवर रणधीर सिंह भींडर की पत्नी हैं। भींडर को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का समर्थक माना जाता है। यह परिवार पहले बीजेपी में ही था लेकिन 2013 में टिकट नहीं मिलने पर रणधीर सिंह ने जनता सेना बनाई ओर लगातार 3 बार चुनाव लड़े। इसमे वे 1 बार वे जीते और 2 बार हारे। इस बार उन्होंने अपनी पत्नी दीपेंद्र कुंवर को मैदान में उतारा है। पूर्व राजपरिवार से होने के कारण दीपेंद्र कुंवर को रानीसा के नाम से भी जाना जाता है।
चित्तौड़गढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी (Rajasthan Exit Polls) चंद्रभान सिंह ने कहा कि मैं पार्टी में जाने से पहले अपने कार्यकर्ताओं से पूछूंगा कि जाना या नहीं। परिणाम आने के बाद चर्चा करेंगे, उसके मुताबिक ही किसी भी पार्टी में जाने का फैसला करेंगे। वहीं बाड़मेर की शिव विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि जो भी सरकार शिव और इसके लोगों के लिए काम करेगी, उनकी बात सुनेगी, उसके साथ जाने पर विचार करेंगे।